
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्यप्रणाली को लेकर गुरुवार को कड़ा रुख अपनाया। अदालत ने कहा कि एजेंसी को कानून के दायरे में रहकर काम करना चाहिए और “बदमाशों” की तरह बर्ताव नहीं करना चाहिए। यह टिप्पणी उन मामलों में दोषसिद्धि की बेहद कम दर को लेकर की गई, जिनकी जांच ईडी ने की है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह टिप्पणी 2022 के उस निर्णय की पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई के दौरान की जिसमें पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत ईडी की गिरफ्तारी की शक्तियों को बरकरार रखा गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की छवि पर जताई चिंता
जस्टिस भुयान ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में ईडी द्वारा दर्ज करीब 5,000 मामलों में से सिर्फ 10% मामलों में ही दोषसिद्धि हुई है। उन्होंने कहा, “आप अपराधियों की तरह काम नहीं कर सकते। आपको कानून का पालन करते हुए कार्य करना होगा। यह व्यक्ति की आज़ादी से जुड़ा मसला है। 5-6 साल की लंबी हिरासत के बाद अगर कोई बरी हो जाए तो इसकी जवाबदेही किसकी होगी?”
केंद्र और ईडी की तरफ से दलीलें
सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पुनर्विचार याचिकाओं को लेकर आपत्ति जताई और कहा कि ये याचिकाएं वास्तव में फैसले की दोबारा सुनवाई कराने का प्रयास हैं। उन्होंने दोषसिद्धि की कम दर के लिए प्रभावशाली आरोपियों को जिम्मेदार ठहराया और बताया कि ये आरोपी मामलों को लंबा खींचने के लिए लगातार कानूनी अड़चनें पैदा करते हैं।
राजू ने कहा, “प्रभावशाली आरोपी महंगे वकीलों की टीम रख सकते हैं। वे अदालतों में कई आवेदन दाखिल करते हैं जिससे जांच अधिकारी को बार-बार कोर्ट जाना पड़ता है और असली जांच प्रभावित होती है।”
त्वरित निपटान के लिए विशेष अदालतों की जरूरत
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि पीएमएलए मामलों के लिए विशेष अदालतें बनाई जानी चाहिए, जो प्रतिदिन सुनवाई कर सकें। इससे मामलों का जल्दी निपटारा हो सकेगा। उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि ऐसे आरोपियों पर सख्ती की जाए। हम उनके प्रति नरमी नहीं बरत सकते।”
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चेतावनी
ईडी की जांच में बाधा डालने के लिए क्रिप्टोकरेंसी और विदेशी ठिकानों का उपयोग किए जाने पर राजू ने चिंता जताई। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को डिजिटल मुद्रा पर नियम बनाने के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए, क्योंकि भविष्य में रिश्वत भी डिजिटल मुद्रा में ली जा सकती है, जिससे जांच मुश्किल हो जाएगी।
गिरफ्तारी प्रक्रिया पर सवाल
अदालत ने यह भी पूछा कि क्या ईडी आरोपियों को गिरफ्तारी के आधार और कारणों की जानकारी देता है। राजू ने जवाब में कहा कि कानूनन ईसीआईआर (एफआईआर के समकक्ष) की प्रति देना आवश्यक नहीं है, लेकिन न्यायालयों ने गिरफ्तारी के कारण बताने पर ज़ोर दिया है।
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मो. उवैस खान KN Live Media Network के फाउंडर और KN LIVE24 में प्रधान संपादक हैं।मो. उवैस खान KN Live Media Network के फाउंडर और KN LIVE24 में प्रधान संपादक हैं।
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